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परिणामित्र क्या है?

परिणामित्र क्या है?

नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम जानेंगे कि ट्रांसफार्मर (transformer) क्या है? ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते है? और यह किस प्रकार कार्य करता हैं?

परिणामित्र (Transformer)

ट्रांसफॉर्मर अन्योन प्रेरण (mutual Induction) के सिद्धांत पर कार्य करता है यह ए.सी. पावर को उच्च से निम्न (high to low voltage) है तथा निम्न से उच्च वोल्टेज (low to high voltage) पर ट्रांसफर करता है। इसमें दो वाइंडिंग प्रयोग की जाती हैं जिसे ए.सी. इनपुट दिया जाता है उसे प्राइमरी वाइंडिंग (primary winding) तथा जिस कुंडली से आउटपुट लिया जाता है उसे सेकेंडरी वाइंडिंग (secondary winding) कहते हैं।


ट्रांसफार्मर में लौह क्रोड का प्रयोग किया जाता है इस लौह क्रोड का कार्य चुंबकीय फ्लक्स के लिए निम्न प्रतिष्ठान का पथ उपलब्ध कराना है। हम जानते हैं कि, ठोस लौह कोर में प्रत्यावर्ती धारा पर भंवर धारा एवं हिस्टेरिसिस हानियां उच्च होती हैं। इन्हें कम करने के लिए लौह कोर को लेमिनेट किया जातात है। लेमिनेशन के लिए सिलिकॉन स्टील मिश्र धातु प्रयुक्त की जाती है। सिलिकॉन स्टील मिश्र धातु में सिलिकॉन की मात्रा उच्च होती है। लेमिनेशन का आकार ट्रांसफार्मर की संरचना के अनुसार होती है।

परिणामित्र के मुख्य लेमिनेशन के आकार (Size of main lamination of transformer)

  1. E-type
  2. I-type
  3. L-type
  4. U-type

ट्रांसफार्मर के प्रकार (Type of Transformer) -

  1. क्रोड टाइप परिणामित्र (Core type transformer)
  2. शैल टाइप परिणामित्र (Cell type transformer)
  3. बैरी टाइप परिणामित्र (Berry type transformer)

क्रोड टाइप परिणामित्र (Core type transformer) -

इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में प्राइमरी एवं सेकेंडरी कुंडलियां आयताकार (Rectangular), अण्डाकार (Egg shape) अथवा वृत्ताकार (circular) होती हैं। कोर में L, U एवं I आकार की लेमिनेशन प्रयुक्त जाती है।

शैल टाइप परिणामित्र (Cell type transformer) -

शैल टाइप ट्रांसफार्मर में प्रयुक्त कोर E तथा I या U तथा T प्रकार के होते हैं। छोटे ट्रांसफार्मर शैल के आकार के होते हैं। ट्रांसफार्मर की प्राइमरी एवं सेकेंडरी दोनों कुंडलियां कोर के मध्य वाले लिम्ब (Limb) पर लिपटी होती हैं।

शैल टाइप ट्रांसफार्मर में दो चुंबकीय पथ बनते हैं ट्रांसफार्मर की कुंडलियां दोनों तरफ से कोर के बाहरी लिम्ब से घिरी होने के कारण यह शैल टाइप ट्रांसफार्मर कहलाता है। शैल टाइप ट्रांसफॉर्मर में फ्लक्स का क्षरण (leakage) भी बहुत कम होता है अतः इसका वोल्टेज नियमन (voltage regulation) कोर टाइप ट्रांसफार्मर की तुलना में उत्तम होता है। कोर में लोह की मात्रा अधिक होने के कारण यह ट्रांसफार्मर भार में अधिक होते हैं।

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