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डिजिटल सिगनल (Digital Signals) क्या होते हैं?

यह लेख डिजिटल सिगनल (Digital Signals) से सम्बंधित है इस लेख में हम डिजिटल सिगनल (Digital Signals) के बारे में जानेंगे तथा लेख में हम डिजिटल सिगनल प्रोसैसिंग के लाभ तथा अनुप्रयोग के बारे में जानेंगे। तथा इससे जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।

डिजिटल सिगनल (Digital Signals)

सभी डिजिटल परिपथ दो अवस्थाओं (two state operation) के लिए डिजाइन किये जाते हैं। ये असत (non continuous) विद्युत सिगनल होते हैं। डिजिटल सिगनल (Digital Signals) के दो निश्चित स्तर (discrete level) होते हैं। इन स्तरों को अथवा 0, true or false अथवा high or low द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

Digital Signals
Digital Signals

चित्र 1.1 (b) में एक डिजिटल (Digital Signals) है जिसके दो निश्चित आयाम स्तर X तथा Y हैं। X को low (0) तथा Y को high (1) कह सकते हैं। डिजिटल अपरेशन प्राप्त करने की सबसे सरल विधि वर्गाकार तरंग इनपुट (square wave input) प्रयुक्त करना है।

वर्गाकार तरंग इनपुट (higher level) प्रयोग करने से यह ट्रांजिस्टर को सेचुरेशन तथा कट-ऑफ अवस्था में ड्राइव करती है जिससे two - state आउटपुट प्राप्त होती है।

डिजिटल सिगनल प्रोसैसिंग के लाभ तथा अनुप्रयोग (Advantages and Applications of Digital Signals Processing)

  • डिजिटल परिपथों में प्रयोग की जाने वाली युक्तियाँ प्राय: ON अथवा OFF में से किसी एक अवस्था में ऑपरेट होती है।
  • डिजिटल परिपथों के मूल ऑपरेशन (basic operation) की संख्या बहुत कम है तथा उन्हें समझाना सरल है।
  • डिजिटल तकनीकी बूलियन बीजगणित (booleon algebra) पर आधारित है जो एक अत्यन्त सरल गणितीय क्रिया है।
  • डिजिटल परिपथों की क्रिया सरल विद्युतीय परिपथों पर आधारित है। इन परिपथों में विभिन्न युक्तियों के switching speed तथा loading अभिलक्षण प्रयुक्त किये जाते हैं।
  • विभिन्न ऑपरेशन करने के लिए डिजिटल परिपथ ICs (integrated circuits) के रूप में सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं। यह अत्यधिक विश्वसनीय, accurate तथा इनकी प्रचालन गति उच्च होती है।
  • डिजिटल परिपथों के प्रचालन पर, कम्पोनेन्टस के अभिलक्षणों का विचलन (deviation), उनकी आयु, ताप, शोर (noise) इत्यादि का प्रभाव बहुत कम होता है।
  • डिजिटल परिपथों का एक विशेष गुण उनकी 'MEMORY' क्षमता है जिसके कारण यह कम्प्यूटर्स, केलकुलेटर्स
  • सूचना स्टोर करना सरल है।
  • डिजिटल ऑपरेशन्स की प्रोग्रामिंग की जा सकती है। x) त्रुटि ज्ञात करना तथा उनका निराकरण (error detection and correction) सम्भव है।
  • डिजिटल डाटा को कम्प्रेस (compress) किया जा सकता है जिससे डिस्क पर कम स्पेस की आवश्यकता होती है।